Kannappa Movie में प्रभास का कैमियो और क्लाइमेक्स जबरदस्त है, लेकिन खराब CGI, एक्टिंग और कहानी इसे फ्लॉप बना सकती थी। पढ़ें पूरी जानकारी।
Kannappa movie उम्मीदें बनाम हकीकत
Kannappa 2025 की सबसे ज़्यादा चर्चा में रहने वाली फिल्मों में से एक हो सकती है, क्योंकि इसके एंड होते-होते कुछ लोग आँसू पोंछ रहे होंगे, तो कुछ इसे फिल्म कहने पर भी सवाल उठा सकते हैं. ये फिल्म हिंदी में डब होकर रिलीज़ हुई है, 3 घंटे लंबी है और सीधे भगवान शिव से जुड़ी है.
क्या है कहानी?
फिल्म एक शिव भक्त की सच्ची कहानी है, जिसका सिर्फ़ फोटो देखकर ही आपके रोंगटे खड़े हो सकते हैं. कहानी एक ऐसे इंसान की है जो भगवान को “पत्थर” कहता है, और पूरी दुनिया के सामने उस “पत्थर” का सच लाना चाहता है. लेकिन इसी “पत्थर” को पाने के लिए कुछ लोग बेचैन हैं, वे शिव की शक्ति से ख़ुद को अमर बनाना चाहते हैं.
बाहुबली 2.0 या कुछ और?
यहीं से कहानी बाहुबली 2.0 जैसी लगने लगती है. ऐसा लगता है जैसे राजामौली की नकल की गई है, जहाँ तमन्ना और प्रभास थे, वहीं यहाँ फिल्म का हीरो और हीरोइन हैं. ये सब कुछ शुरुआती एक घंटे में आपका मूड खराब कर देता है, और आपको फिल्म से दूर जाने का मन करने लगता है.
लेकिन फिर, जैसे बाहुबली में वो अजीब भाषा बोलने वाले विलेन की एंट्री हुई थी, वैसा ही एक कैरेक्टर इस कहानी में आता है, और कनप्पा का रोमांस वॉर में बदल जाता है. यहाँ से मामला थोड़ा गंभीर होता है, आपका इंटरेस्ट वापस लौटता है, और जब प्रभास की अचानक एंट्री होती है, तो आपकी आँखें चमक उठती हैं.
प्रभास का जादू
सच कहूँ तो, अगर इस कहानी में प्रभास लीड रोल में कनप्पा होते और इसे एस.एस. राजामौली ने बनाया होता, तो ये बाहुबली को भी पीछे छोड़ सकती थी. बॉक्स ऑफिस पर ये फिल्म धमाल मचा देती. प्रभास का क़रीब 20 मिनट का रोल बहुत ही ज़बरदस्त है, और उनकी वजह से आप फिल्म को इज़्ज़त से देखने लगते हैं.
लेकिन लीड कैरेक्टर की ज़िद है कि वो इस पत्थर में भगवान नहीं देखेगा. आप सोच रहे होंगे कि क्या इस पागल इंसान ने जानबूझकर शिव के शिवलिंग पर अपना पैर रखा है? नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है. इसके पीछे एक बहुत ही पेचीदा कहानी छिपी है, जिसे आसान शब्दों में शिव लीला कह सकते हैं. इस सीन तक आते-आते आपको कलयुग, द्वापर युग और महाभारत से गुज़रना पड़ेगा. कनप्पा की कहानी जानते-जानते कैसे महाभारत के वीर योद्धा अर्जुन का ज़िक्र किया जाएगा, वो सब कुछ इस फिल्म की स्टोरी को और ज़्यादा दिलचस्प बना देता है.
क्लाइमेक्स और सरप्राइज़ कैमियो
और फिर जब फिल्म का फ़िनाले क्लाइमेक्स आता है, थिएटर में बैठा हर इंसान एकदम चुप हो जाता है. आध्यात्मिक रूप से जो भी भगवान शिव से जुड़ा है, उसके लिए कनप्पा का क्लाइमेक्स बहुत ही भावुक होगा.
लेकिन अगर आप आखिरी 30-35 मिनट हटा दें, तो बाकी फिल्म पर आपको बहुत गुस्सा आएगा, क्योंकि न तो एक्टिंग, न ही फिल्म मेकिंग, और न ही एक्शन सीन, कुछ भी ठीक नहीं है. पूरी फिल्म रियल नहीं लगती. नेचुरल लोकेशंस की जगह ढेर सारे स्पेशल इफेक्ट्स डाले गए हैं, जिनकी क्वालिटी भी काफ़ी खराब लगती है.
फिल्म की अच्छी बातें उन लोगों से जुड़ी हैं जो इसमें लीड रोल नहीं कर रहे हैं. सरप्राइज़ कैमियोज़ ने इस फिल्म को बर्बाद होने से बचा लिया है. अक्षय कुमार भगवान शिव के रूप में ज़्यादा कुछ करते नहीं हैं, लेकिन उनका सिर्फ़ कैरेक्टर ही कनप्पा को ख़ास बनाने के लिए काफ़ी है. और हाँ, मोहनलाल का रोल सबसे बड़ा सरप्राइज़ है. प्रभास के बारे में मैं आपको पहले ही बता चुकी हूँ; उनके 20 मिनट ऐसे लगेंगे जैसे आप कोई दूसरी फिल्म देख रहे हों, और इसी की वजह से फिल्म एंड तक जाते-जाते आपकी सारी शिकायतें दूर कर देती है.
हमारा फ़ैसला
कनप्पा को 5 में से 2.5 स्टार्स मिलेंगे.
1 स्टार: इस सब्जेक्ट के लिए, जो सच में राजामौली जैसे डायरेक्टर को डिजर्व करता है.
1 स्टार: प्रभास की स्क्रीन प्रेजेंस के लिए, जिसने फिल्म की इज़्ज़त बचा ली.
0.5 स्टार: क्लाइमेक्स के लिए, जो देखने में भी और सोचने में भी दमदार है.
नकारात्मक बातें:
- गाना-बजाना बहुत ज़्यादा और फ़ालतू है.
- फाइट सीन्स का कोई असर नहीं है, बस टाइम वेस्ट है.
- एक्टिंग का इस फिल्म से कोई लेना-देना नहीं है.
- शायद डायरेक्टर भी नहीं जानते थे कि वे 2.5 घंटे किस दिशा में चल रहे थे.
- शुक्र है कि आखिरी 30 मिनट ने फिल्म को संभाल लिया.
क्या आपको कनप्पा देखनी चाहिए?
कनप्पा को प्रभास फ़ैंस और शिव भक्तों को ज़रूर देखना चाहिए. लेकिन हाँ, फ़र्स्ट हाफ़ को जैसे-तैसे पार करना पड़ेगा, तभी जाकर एंडिंग में फिल्म का असली मज़ा मिलेगा.
मूवी देखने से पहले Kannappa का ट्रेलर जरूर देख लेना।