काजोल की नई फिल्म Maa से अजय देवगन के ‘शैतान यूनिवर्स’ की शुरुआत हो चुकी है। जानिए रक्तबीज और काली मां की पौराणिक कथा पर बनी इस फिल्म का रिव्यू!
अजय देवगन का ‘डेयरिंग’ कदम: रीमेक से पूरा यूनिवर्स!
बॉस, इतनी हिम्मत सिर्फ अजय देवगन ही दिखा सकते हैं! एक ओरिजिनल फिल्म का रीमेक बनाना, फिर उसे अपनी फिल्म बनाकर एक पूरा यूनिवर्स खड़ा कर देना – ये पहले सिंघम के साथ हुआ था और अब ‘शैतान’ के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। ‘शैतानी’ करने के लिए मिसेज देवगन, काजोल खुद आ गई हैं! उनकी नई फिल्म ‘मां’ रिलीज हो चुकी है और इसके साथ ही ‘शैतान यूनिवर्स’ की शुरुआत भी हो गई है।
तो बिना टाइम वेस्ट किए सीधा बताते हैं कि ये फिल्म देखने लायक है या इससे दूर ही रहना चाहिए। और हां, वीडियो के आखिर में आपको एक बोनस फिल्म के बारे में भी बताऊंगी, जो ‘मां’ से 500 गुना ज्यादा दिमाग को घुमा देगी!
Maa की कहानी: खून से जन्मा शैतान और काली मां का रहस्य
‘मां’ की कहानी दरअसल काली मां की कहानी से जुड़ी है। आपको रक्तबीज के बारे में पता है? वो राक्षस जिससे देवता भी डरकर स्वर्ग लोक छोड़कर भाग गए थे, क्योंकि रक्तबीज उनकी जान के पीछे पड़ गया था। ट्विस्ट ये था कि रक्तबीज के शरीर से खून की जितनी बूंदें गिरतीं, उतने ही नए रक्तबीज पैदा हो जाते थे। तब सभी देवताओं ने मां पार्वती से अपनी परेशानी बताई। इस डर को खत्म करने के लिए मां पार्वती ने काली माता का अवतार लिया। उन्होंने एक हाथ से रक्तबीज को काटा और अपनी जीभ से उसका खून धरती पर गिरने से पहले ही साफ कर दिया। इस तरह रक्तबीज तो चला गया, लेकिन अपना डर पीछे छोड़ गया।

अब इस फिल्म में एक ऐसी जगह की बात हो रही है जहाँ रक्तबीज की एक बूंद आज भी मौजूद है, जिससे शैतान ने दोबारा जन्म लिया है। लेकिन वो गाँव वालों तक आज तक नहीं पहुँच पाया, क्योंकि उसकी रक्षा खुद काली मां करती हैं। कैसे? इसी गाँव में एक शापित हवेली है, जिसके अंदर काली मां का एक बड़ा मंदिर बना है। लेकिन मंदिर पर पूरे 40 साल से ताला लगा है। क्यों? क्योंकि गाँव वालों का मानना है कि जब तक काली मां किसी को सपने में दर्शन नहीं देंगी, तब तक इस मंदिर का ताला तोड़ना शैतान को जगाने के बराबर होगा।
अब सोचिए, इन सारी बातों से अनजान आप उसी गाँव में, उसी हवेली में अपने बच्चे को लेकर चले जाओ! और तभी अचानक आपको इस कहानी के बारे में पता चले… यही होता है इस फिल्म में एक मां के साथ, जो अपनी बेटी को उसके गाँव घुमाने लाई थी, लेकिन शायद अनजाने में उसने रक्तबीज को जिंदा होने का दूसरा मौका दे दिया है।
क्या ‘मां’ आपको डराएगी?
कहानी सुनने में कितनी इंटरेस्टिंग लग रही होगी ना? लेकिन इससे पहले कि आप टिकट बुक करने लग जाओ, ये बात क्लियर कर देती हूँ – इस फिल्म को हॉरर बोलना थोड़ी नाइंसाफी होगी। ‘मां’ एक ऐसी फिल्म है जिसकी कहानी डरावनी है, लेकिन उस कहानी पर जो फिल्म बनी है, उसमें डर की बहुत ज्यादा कमी है। अंतर समझ रहे हैं ना?
दिक्कत ये है कि फिल्म में बहुत बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं, लेकिन हर कोई इस पर आसानी से यकीन कर लेता है। प्रॉब्लम सुनने में भयानक लगेगी, लेकिन सॉल्व चुटकी में हो जाएगी। इसके बीच में डर कहाँ गया? कुछ सीन ऐसे हैं जिनमें इंसानों को मारा जा रहा है, तलवार से काटा जा रहा है। कुछ ऐसी प्रथाओं की बात होती है जिसे सुनकर आप माथा पकड़कर सोचोगे, “ये सब अलाउड कैसे है?”
‘शैतान’ जैसी फिल्म ने बिना भगवान का इस्तेमाल किए भी लोगों को डरा दिया था, सिर्फ काला जादू के टॉपिक से। क्योंकि स्टोरी इतनी नॉर्मल थी कि किसी के भी साथ रियल लाइफ में हो सकती थी। लेकिन ‘मां’ में जो काली मां का कनेक्शन दिखाने की कोशिश की है, वो बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, जिससे एक्सपेक्टेशन बहुत ऊपर चली जाती है, लेकिन फिर उल्टा नीचे गिर पड़ती है।
फिल्म के अच्छे और बुरे पहलू
फिल्म को बंगाली कल्चर का फायदा मिला है। ये डरावनी हवेली, काली मां की मूर्ति, हॉन्टिग सा लगने वाला डांस – इन सब चीजों में 2 घंटे इंटरेस्ट तो आता रहेगा। प्लस, फिल्म का क्लाइमेक्स पैसा वसूल है! काजोल के साथ इतनी मारपीट आज तक कभी नहीं देखी होगी। उनके शरीर को ऐसा तोड़ा है, जैसा इंसान के साथ करना अलाउड नहीं होना चाहिए!
लेकिन इस फिल्म को देखने का सबसे बड़ा रीज़न है एक सरप्राइज विलेन। चालाकी से कहानी को घुमा दिया, विलेन से होश उड़ा दिए। बट फिर भी आप आर माधवन जैसे कैरेक्टर को मिस करोगे, जिसने ‘शैतान’ को जिंदा कर दिया था। इस फिल्म का विलेन सरप्राइज तो है, लेकिन उतना ताकतवर फील नहीं होगा। डरावने सीन्स डालने की बहुत कोशिश की है, लेकिन वो आपको उतना डरा नहीं पाएंगे, क्योंकि फिल्म के कैरेक्टर्स ऐसे रिएक्ट करेंगे जैसे ये भूत-प्रेत देखना उनके लिए रोज़ का काम है।
इस फिल्म को थ्रिलर बोल सकते हैं, बट हॉरर वाला एंगल बच्चों जैसा फील होगा। साउंड इफेक्ट्स बीच-बीच में झटका देंगे, बट स्पेशल इफेक्ट्स बचकाने से लगेंगे। लेकिन फिर भी काफी लोग डर सकते हैं, और इस बात के चांसेज बढ़ जाएंगे अगर आप विद फैमिली इस फिल्म को एक साथ देखने जाएंगे।
Maa के बाद का सरप्राइज और रेटिंग
एक टिप भी देता हूँ: फिल्म खत्म होने के बाद घर मत चले जाना! वहाँ सबसे बड़ा सरप्राइज छुपा है, जो ‘मां’ को ‘शैतान यूनिवर्स’ से जोड़ता है।
मेरी रेटिंग: 5 में से 3 स्टार
पहला स्टार: कहानी, जिसमें बेहतरीन थिएटर एक्सपीरियंस बन सकता था।
दूसरा स्टार: सरप्राइज विलेन और उसके टक्कर का काजोल मैम का परफॉर्मेंस।
एक्स्ट्रा स्टार: इस कहानी को बंगाली कल्चर में सेट करने के लिए, जिससे फिल्म में जान आ गई।
नेगेटिव्स:
हॉरर की बहुत ज्यादा कमी है। डर दिमाग तक आएगा, लेकिन आँखों से दिखेगा नहीं।
काली मां का इस्तेमाल इस फिल्म में उस लेवल का नहीं हुआ जैसा डिवोशनल मूवीज में होना चाहिए।
जाने से पहले Maa का ट्रेलर देख लेना ।